क्रिप्टोकरेंसी क्या है? | What is cryptocurrency?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा प्रणाली है। जो लेनदेन को सत्यापित करने के लिए किसी भी केन्द्रीय बैंको पर निर्भर नहीं होना पड़ता है। यह एक Peer-2-Peer Network होता है जो कहीं से किसी भी को भुगतान करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। जब आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को भेजते हैं। तो वह लेनदेन एक सार्वजनिक बही खाता में दर्ज हो जाते हैं।
वास्तविक दुनिया में भौतिक धन को इस्तेमाल करने के लिए हमे उसे उस धन को वहां के भौतिक मुद्रा में बदलवाना पड़ता है।लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ये आपको समस्या नहीं आएगी।
क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल crypto wallet में जमा किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी में अधिकांश रुचि इसलिए हो रही है कि क्रिप्टोकरेंसी में बहुत ही जल्दी बहुत ही ज्यादा पैसा बन जाता है लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता है क्यूंकि यहाँ तजुर्बा और लम्बे समय वाले निवेशक ही पैसा कम पाते हैं।
Coinmarketcap के हिसाब से अभी 19920 क्रिप्टोकरेंसी अभी मौजूद है और रोज कोई न कोई क्रिप्टो बाज़ार में आ रहें हैं। इसलिए निवेश करने से पहले खुद उस क्रिप्टो पर शोध करें किसी के बहकावे में न आवे।
कुछ सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकर्रेंसी
- बिटकॉइन (Bitcoin)
- ईथेरियम (Ethereum)
- रिप्पल (Ripple)
- सोलाना (Solana)
- बिनांस कॉइन (Binance Coin)
- पोल्काडॉट (PolkaDot)
- पोलीगोन (Matic)
- चैनलिंक (Chainlink)
- डीसेंट्रालैंड (Mana)
- डॉगकॉइन (Doge)
डिजिटल करेंसी का नाम क्रिप्टोकरेंसी पड़ा?
तो चलिए जानते है क्रिप्टोकरेंसी को इसका नाम कैसे मिला। क्रिप्टोकरेंसी अपने लेनदेन को सत्यापित करने के लिए इन्क्रिप्शन तकनीक का उपयोग करता है। इसका मतलब है कि उन्नत कोडिंग वॉलेट और सार्वजनकि खाताधारको के बिच क्रिप्टोकरेंसी के जानकारी को संग्रहित और प्रसारित करना शामिल है।
इन्क्रिप्शन का उद्देश्य उच्च स्तर का सुरक्षा प्रदान करना होता है। इन्क्रिप्शन में आपके जानकारी को ऐसे भाषा में बदल दिया जाता है जिसे कोई पढ़ और समझ नहीं सके।
क्रिप्टोकरेंसी का इतिहास | History of Cryptocurrency
वैसे तो क्रिप्टोकरेंसी का अविष्कार 1995 में ही David Lee Chaum द्वारा कर लिया गया था। David Lee Chaum एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक, क्रिप्टोग्राफर है। इन्हे क्रिप्टोग्राफी और गोपनीयता तकनीक का जनक माना जाता है. इन्होने 1995 में उनकी कंपनी DigiCash ने eCash के साथ पहली डिजिटल करेंसी बनाई।
पहली सार्वजनिक क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है, जिसे 2009 में सतोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) द्वारा स्थापित किया गया था और आज भी सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकर्रेंसी है। बिटकॉइन का बही-खाता 3 जनवरी 2009 में शुरू हुआ था जो आज तक बिना रुके चलता ही जा रहा है। यह SHA-256 क्रिप्टोग्राफ़िक हैश फंक्शन का उपयोग करती है।
हैश फंक्शन होता क्या है | What is Hash Function?
हैश फंक्शन एक गणितीय फंक्शन है जो एक संख्यात्मक इनपुट मान को दूसरे छोटे संख्यात्मक मान में परिवर्तित करता है। हैश फंक्शन का इनपुट मनमानी लम्बाई का होता है लेकिन आउटपुट हमेशा निश्चित लंबाई का होता है।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे कार्य करती है | How cryptocurrency works?
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन पर आधारित तकनीक है इसलिए यह सारे लेनदेन कि जानकारी को खंडो (Blocks) में वितरित बही-खाता में संग्रह करता है। तथा इसकी सुरक्षा माइनिंग (cryptocurrency mining) द्वारा किया जाता है और इसके बदले कुछ क्रिप्टो इन्हे इनाम के रूप में दिया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी के गुण और दोष
क्रिप्टो के गुण
- क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल संपत्ति का एक रूप है।
- इसमे भरी मुनाफ़ा हो सकता है।
- यह किसी सरकार या बैंको द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है।
- बहुत ही कम शुल्क में में आपको किसी को भी क्रिप्टो भेज सकतें है।
- इसमें पारदर्शिता है क्यूंकि इसके अधिकांश का कोड ओपन सोर्स है।
क्रिप्टो का दोष
- गलती कि कोई गुंजाइश नहीं है (गलत पते पर भेजा तो वापिस नहीं मिलेगा)
- इसमें भारी नुकशान हो सकता है।
क्या भारत में क्रिप्टोकरेंसी क़ानूनी तौर पर वैध है ?
भारत में क्रिप्टोकरेंसी कानूनी तौर पर वैध नहीं है और न ही प्रतिबंधित है। आप भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी को खरीद और बिक्री कर सकते हैं लेकिन आपको उस पर टैक्स देना होगा।